गीत / जुलाई-अक्टूबर 08 ------------------------------------ हितेश कुमार शर्मा |
---|
(1) अब भारत की बात करो
--------------------------------------------------------------------
छुआ छूत के बन्धन तोड़ो, मत स्वारथ की बात करो।
जनहित और देशहित सोचो, अब भारत की बात करो।।
अब भी बटे रहेंगे हम तो आक्रान्ता छा जायेंगे।
उग्रवाद, आतंक-नक्सली-मानवता खा जायेंगे।
हिन्दी हैं हम हिन्दू हैं हम, हैं केवल हिन्दुस्तानी।
सबके खूँ में मिला हुआ है गंगा-यमुना का पानी।
एक मंच पर सभी खड़े हों पैदा वह हालात करो।
जनहित और देशहित सोचो अब भारत की बात करो।।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य कह समाज को मत बाँटो।
एक वृक्ष हिन्दुत्व हमारा शाखाओं को मत काटो।
सब समान हैं सबके अन्दर भारत भू की आत्मा है।
सकल विश्व का एक रचयिता परमपिता परमात्मा है।
सब में हो एकात्म-भाव, जाग्रत ऐसे जज्वात करो।
जनहित और देशहित सोचो अब भारत की बात करो।।
संविधान में परिवर्तन हो जात-पात के शब्द हटें।
आरक्षण या तुष्टिकरण के सभी विशेषण तुरत कटे।
सबका केवल मात्र नाम हो, जाति सूचक पूँछ न हो
एक भाव हो राष्ट्र प्रेम का, लम्बी छोटी मूँछ न हो।
स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर भेंट यही सौगात करो।
जनहित और देशहित सोचो अब भारत की बात करो।।
------------------------------------------------------------------------------
(2) आओ दीपावली मनायें
------------------------------------------------------------------------------
आओ दीपावली मनायें, हर मुंडेर पर दीप जलायें।
द्वेष, दम्भ, पाखण्ड सरीखे, मन के दुर्गुण दूर भगायें।।
संयम का हो दीप, स्नेह वर्तिका धर्य का तेल भरा हो।
अंधकार को दूर भगाता, हर आंगन में दीप धरा हो।
हर चेहरे पर चमक खुशी की, अंतर्मन में स्नेह खरा हो।
खुशियाँ खील, मिठाई बाँटे, सबको बढ़कर गले लगायें।
आओ दीपावली मनायें।।
सम्बोधन सम्मानयुक्त हों, अपनापन वाणी में छलके।
त्योहारों की परम्परागत प्रीति-रीति प्राणी में झलके।
नई नवल आशाओं के संग, उगे चन्द्रमा दिनकर ढलके।
धरती लगे ज्योति का सागर, आओ ऐसा इसे सजायें।
आओ दीपावली मनायें।।
सबके मन के अंधकार का, दीवाली के दीप हरें तम।
सबका मालिक एक भला फिर, आपस में क्यों बैर करें हम।
सबकी झोली भरे खुशी से, रहे कहीं भी जरा न ग़म।
हर मन की इच्छा पूरी हो, हर आंगन लक्ष्मी जी आयें।
आओ दीपावली मनायें।।
दीवाली से दीवाली तक, भरे रहें भण्डार सभी के।
लक्ष्मी मैया दूर भगा दें, आपद् और विपत सब ही के।
हर घर आंगन उजियारा हो, रहें नहीं चैबारे फीके।
धरती का शृंगार देखकर, चाँद सितारे भी शरमायें।
आओ दीपावली मनायें।।
तुमको शुभ हो, मुझको शुभ हो, दीपावली हम सबको शुभ हो।
आने वाला समय सुखद हो, कुछ भी कहीं न मित्र अशुभ हो।
माँ लक्ष्मी इस दीवाली पर, हर आंगन सुख ही सुख हो।
अपने और पराये सबको, पहुँचें दीपावली की सुकामनायें।
आओ दीपावली मनायें।।
गणपति काम्पलैक्स, सिविल लाइन्स, बिजनौर (उ0प्र0) पिन-246701 |
---|
No comments:
Post a Comment